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प्रेम बताए कौन

मुक्तक 1 शब्द जिसे हों बाँधते, प्रेम बताए कौन यह अनुभव उस मीत का, जो सुन लेता मौन चुप-चुप राधा जी रही, बिछुड़न है जो मेल कण-कण उसकी गन्ध है, क्या पानी क्या पौन? * पौन * : पवन (13/7/19) 2. भाव-भाव में हूँ बसा, कण-कण मुझ में ही छुपा प्रेम सिंधु बेशक रहा, पर प्रीत पाश में  बँधा राधा तेरे प्रेम से, है न अछूता कुछ यहाँ यह चर-अचर ब्रह्मांड क्या, औ ज्ञान क्या विज्ञान क्या ©सतविन्द्र कुमार राणा (25/7/19)

बादल

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मुक्तक देह तपी जाती है सारी, दिल पर पर है छाया बादल आस लगाए बैठा प्यासा, सोचे आया-आया बादल जब-जब प्यास बुझाने की बस, आशा उससे  रख लेते हैं झूठे जादूगर की जैसे, होता खाली माया बादल ©सतविन्द्र कुमार राणा 4.7.19 मुक्तक तुम्हारा बोल हर-इक मेरे मन का गीत बन जाए कि तुमसे हार ही मेरी असल है जीत बन जाए बनें हम राधिका-मोहन मुहब्बत के हवाले से हमारी प्रीत इस सारे  जगत की रीत बन जाए। ©सतविन्द्र कुमार राणा 6.7.1९ पीड़ा सह कर खुश रहें, अद्भुत ऐसे लोग जीवन का कारण यही, या है कोई रोग कहे राधिका जिंदगी, के दिन होते चार युगों-युगों जुड़कर रहें,  प्रेम  करे वह योग। ©सतविन्द्र कुमार राणा जिसको पीकर मस्त रहें बस बोलो कैसी है हाला मुक्ति यहाँ बन्धन है लेकिन नहीं दिखे कोई ताला दूर नहीं हो पाता हिय से तन कितना भी दूर रहे राधा के जैसे पी लेता प्रेम पूर्ण जो भी प्याला। ©सतविन्द्र कुमार राणा

माथे की रोली दिखती

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03-07-2019 माथे की रोली दिखती है, हिय चंदन को देखे कौन मूरत पर अर्चन सब देखें, मन से वन्दन देखे कौन दुनिया देखे मानें जिसको, ऐसे अपना है क्या बंध प्रणय बाँधता हम दोनों को, इस बंधन को देखे कौन? 4.7.19 तुम्हारा बोल हर-इक मेरे मन का गीत बन जाए कि तुमसे हारना मेरी असल में जीत बन जाए बनें हम राधिका-मोहन मुहब्बत के हवाले से हमारी प्रीत इस सारे  जगत की रीत बन जाए। देह तपी जाती है सारी, दिल पर पर है छाया बादल आस लगाए बैठा प्यासा, सोचे आया-आया बादल जब-जब प्यास बुझाने की बस, आशा उससे  रख लेते हैं झूठे जादूगर की जैसे, होता खाली माया बादल। ©सतविन्द्र कुमार राणा