माथे की रोली दिखती
03-07-2019
माथे की रोली दिखती है, हिय चंदन को देखे कौन
मूरत पर अर्चन सब देखें, मन से वन्दन देखे कौन
दुनिया देखे मानें जिसको, ऐसे अपना है क्या बंध
प्रणय बाँधता हम दोनों को, इस बंधन को देखे कौन?
4.7.19
तुम्हारा बोल हर-इक मेरे मन का गीत बन जाए
कि तुमसे हारना मेरी असल में जीत बन जाए
बनें हम राधिका-मोहन मुहब्बत के हवाले से
हमारी प्रीत इस सारे जगत की रीत बन जाए।
देह तपी जाती है सारी, दिल पर पर है छाया बादल
आस लगाए बैठा प्यासा, सोचे आया-आया बादल
जब-जब प्यास बुझाने की बस, आशा उससे रख लेते हैं
झूठे जादूगर की जैसे, होता खाली माया बादल।
©सतविन्द्र कुमार राणा
Nice poetry
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