शब्द बाण



वादों का यह दौर है, पोषित करता वाद
लोकतंत्र मजबूर पर, जाति-पन्थ आबाद
जाति-पंथ आबाद, देश दुनिया सब पीछे
करता बन्दर बाँट, भूप आँखों को मीचे
'सतविंदर' न प्रभाव, रहा मीठे नादों का
क्रूर किस्म का जोर, और झूठे वादों का।

©सतविन्द्र कुमार राणा

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