शब्द बाण

जीवन कितने खप गए, कुछ देखे लाचार
 कुछ चुप रह सहते रहे, पीड़न अत्याचार
पीड़न अत्याचार,  गुलामी घातक भाई
सच्चे रहे प्रयास, तभी आजादी आई
'सतविंदर' कह दंश, झेलते हैं लाखों तन
आजादी का अर्थ, न जाने उनका जीवन।

©सतविन्द्र कुमार राणा

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