शब्द बाण

भूला सारे तीर जो, चुभते बारम्बार
उनसे करता कौन है, नहीं जानता वार!
नहीं जानता वार, हुआ क्या भेजा खाली
लेकर शब्द उधार, कहे बस ठोको ताली
सतविंदर क्यों दुष्ट, मित्र ये बने तुम्हारे
याद रहा सहभोज, कपट तू भूला सारे।।

©सतविन्द्र कुमार राणा

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