तमस चीर उत्थान हो
तमस चीर
उत्थान हो
ऐसी एक
उड़ान हो
सीमाओं को तोड़
खोल दें आज भुजाएँ
आशाओं के दीप
हृदय में खूब जलाएँ
दिनकर सम विश्वास
तमस पर होता भारी
रखकर उसको साथ
रहे लड़ना भी जारी
बढ़ना ही
जब ध्येय है
निश्चय में भी
जान हो।
बदली-सा सब दुःख
कभी रहता था छाया
छँट जाता वह देख
समय अच्छा जब आया
पा कष्टों पर पार
उन्हें दिल से बिसराओ
फिर सुख की हो भोर
कर्म यूँ करते जाओ।
कड़वे-मीठे
गीत पर
सही सुरीली
तान हो।
विहग विश्व पर आज
उड़े बस पर फैलाकर
माप चले आकाश
भूमि से ऊपर जाकर
जग के बंधन भूल
बनें साहस की मूरत
सही पकड़ लें राह
बदल दें जग की सूरत
ऐसा मन में
ठान लें
ऊँची अपनी
शान हो।
©सतविन्द्र कुमार राणा
Comments
Post a Comment