जिस्मो दिल के अज़ाब से पानी- गजल
जिस्मो दिल के अज़ाब से पानी।
तेरे जुल्मो-हिसाब से पानी।
प्यास खुद ढूंढ कर ले आती है
गहरे जाकर किताब से पानी।
शाह तेरे सवाल के बदले
लाख बहतर जवाब से पानी।
आज पत्थर पिघल गया है, या
रिसता खाली नक़ाब से पानी।
आग उस पल असल लगी समझो
निकला जब आफ़ताब से पानी।
'बाल' तिश्ना जमाने की इतनी
कम पड़े इस हिसाब से पानी।
अज़ाब- दर्द, पीड़ा
आफ़ताब- सूरज, सूर्य
©सतविन्द्र कुमार राणा 'बाल'
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