कुण्डलिया भाई साच्चा तब कवाँ, रक्षाबन्धन पर्व भाई के वें कर्म हों, भाणा नै हो गर्व भाणा नै हो गर्व, नजर हर इक हो आच्छी दुनिया की हर नार, सुरक्षित हो ज्या साच्ची 'सतविन्दर' कह ठीक, मान की रवै कमाई नारी का सम्मान, करै वो साच्चा भाई। .... ठाले बैठे ही जिसे, मिलता जाए माल काम-धाम को छोड़ कर, काटे दिन औ साल काटे दिन औ साल, नहीं करने की सोचे खाली बैठा पेट, युँही भरने की सोचे हो जाता बीमार, देह फिर गड़ गड़ हाले बनकर रहे हराम, रहे जो बैठा ठाले ... अपने दुख से कम् दुखी,सुख से सबके तंग ऐसे हर इंसान से,मोह सभी का भंग मोह सभी का भंग,नहीं जन उसको चाहें उसकी छवि से दूर,अलग सबकी हों राहें छीनूँ सबका चैन,यही जो देखे सपने आने क्यों दे पास,उसे फिर कोई अपने ... सबका दिल है काँपता, ऐसी घटना होय चलते रास्ते पर भई, सबकुछ अपना खोय सबकुछ अपना खोय, मान भी लूटा जाता मानवता पर मार, समझ में कब कुछ आता सतविन्दर कविराय, कहाँ का है यह तबका घटना ऐसी देख, काँपता है दिल सबका .... आजादी वह भाव है,जिससे सबको प्यार इसको पाने के लिए,हुई बहुत तकरार हुई बहुत तकरार,कई ने जान गँवाई ह...